
दुर्गा-सप्तशती पाठ
दुर्गा पूजा को दुर्गोत्सव भी कहा जाता है। देवी दुर्गा मां के कई नाम और रूप हैं। माँ अध्याशक्ति के रूप में, उन्हें जीवन और दुनिया के अस्तित्व के प्रमुख स्रोत के रूप में सम्मानित किया जाता है। नवरात्रि के हर दिन मां दुर्गा की अलग-अलग अवतार में पूजा की जाती है। इस पूजा को करने से व्यक्ति को जीवन में आने वाली सभी समस्याओं और बाधाओं को दूर करने की शक्ति मिलती है।
यह पूजा दुर्गा माता का आह्वान करके की जाती है, इसके बाद देवी दुर्गा के मंत्रों का जाप करके और फिर उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पूजा की जाती है। शक्ति की साधना के लिए दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है इसमें महाकाली महालक्ष्मी महासरस्वती माताओं की महिमा का वर्णन है नवरात्र में मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है।
नवरात्र के 9 दिनों तक दुर्गा सप्तशती का पाठ विधि विधान से किया जाए तो मां भगवती अपने भक्तों पर विशेष कृपा करते हैं। दुर्गा सप्तशती को मां भगवती का स्वरूप ही माना गया है उसमें समाहित प्रत्येक मंत्र जागृत है जो मां की कृपा से शीघ्र ही प्रभाव डालते हैं सप्तशती का पाठ आप 12 महीने में कभी भी कर सकते हैं लेकिन नवरात्रि में इसका विशेष प्रभाव होता है।
दुर्गा सप्तशती पाठ की विधि लंबी है जिसे पुस्तक के माध्यम से ही संपन्न किया जा सकता है अतः आप गोरखपुर प्रेस से प्रकाशित दुर्गा सप्तशती पुस्तक का प्रयोग कर सकते हैं।
दुर्गा सप्तशती पाठ प्रारंभ करने से पहले स्वयं का शुद्धिकरण कर गणेश पूजन, नवग्रह पूजन, षोडश मातृका पूजन, ज्योति/दीप पूजन ,कलश पूजन व दुर्गा सप्तशती पुस्तक पूजन करना चाहिए । पुस्तक को ऊंचे स्थान पर स्वच्छ कपड़ा बिछाकर रखें । दुर्गा सप्तशती का पाठ पुस्तक हाथ में लेकर नहीं पढ़ना चाहिए पुस्तक को किसी पाट पर रखकर ही पढ़ना चाहिए । सप्तशती का पाठ न तो बहुत उच्च स्वर में होना चाहिए ना ही बहुत मंद/मन ही मन में पड़ना चाहिए, पाठ हमेशा लयबद्ध तरीके से स्पष्ट उच्चारण के साथ मध्यम स्वर में होना चाहिए।
दुर्गा पूजा के लाभ:
- इस पूजा को करने से व्यक्ति को जीवन में आने वाली बाधाओं और बाधाओं को दूर करने और दूर करने में मदद मिलती है।
- व्यक्ति को बुरी नजर, नकारात्मक ऊर्जा और शत्रुओं से बचाता है।
- यह व्यक्ति को सुख, संपत्ति और समृद्धि प्रदान करता है।
- यह लंबी बीमारी से राहत प्रदान करता है और स्वस्थ जीवन सुनिश्चित करता है।
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दुर्गा सप्तशती प्राणायाम देवी दुर्गा की उनके तीन शक्तिशाली अवतारों महा काली, महा लक्ष्मी और महा सरस्वती की पूजा करने के लिए किया जाता है। इस पूजा को करने से सभी दुर्भाग्य, परेशानियों से छुटकारा मिल सकता है और नकारात्मकता और शाप से बचा जा सकता है।