
गृह प्रवेश क्या है?
गृह प्रवेश समारोह एक हिंदू पूजा समारोह है, जिसे पर्यावरण को शुद्ध करने और घर को नकारात्मक ऊर्जा से बचाने के लिए पहली बार नए घर में प्रवेश करने के समय किया जाता है।
गृह प्रवेश पूजन
गृह प्रवेश से पहले एक कलश पूजा भी होती है। इसके लिए तांबे के कलश को 9 तरह के अनाजों से भरा जाता है और एक सिक्का डाला जाता है। इसके बाद कलश पर एक नारियल रखा जाता है और शख्स पुजारी द्वारा कहे जाने वाले मंत्रों के साथ घर में प्रवेश करता है।
आपके नए घर के लिए गृह प्रवेश के टोटके और गृह प्रवेश पूजा विधि
गृह प्रवेश हमेशा शुभ दिन पर करें। हालांकि त्योहारी सीजन में कई शुभ तिथियां आती हैं जो गृह प्रवेश के लिए उपयुक्त हैं, दशहरा और दिवाली गृह प्रवेश के लिए बहुत भाग्यशाली माने जाते हैं और आप किसी पुजारी से परामर्श करके पूजा आयोजित कर सकते हैं। गृह प्रवेश पूजा और घर में प्रवेश करने के लिए माघ, फाल्गुन, वैशाख और ज्येष्ठ के महीनों को सबसे अच्छा माना जाता है। आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, अश्विन और पौष के महीने गृह प्रवेश के लिए ठीक नहीं हैं।
फिनिशिंग और कंस्ट्रक्शन से जुड़े काम पूरे कर लें
गृह प्रवेश पूजा कंस्ट्रक्शन का काम ख़त्म होने के बाद ही करनी चाहिए। नए घर में जाने और गृह प्रवेश समारोह आयोजित करते समय याद रखने वाली यह सबसे अहम चीजों में से एक है।
अगर निर्माण कार्य चल रहा हो तो नए घर में जाने से बचें. नए घर में तभी जाएं, जब घर पूरी तरह से तैयार हो. गृह प्रवेश का मतलब होता है, जीवन के एक नए चरण में प्रवेश करना. नया घर हर तरीके से पूरा होना चाहिए. इसलिए ध्यान रहे कि लकड़ी, फिटिंग्स, पेंट इत्यादि जैसे काम पूरे होने चाहिए।
पूजा वाले दिन क्या करें?
- घर के एंट्रेंस को सजाएं
- रंगोली बनाएं
- पूरे घर को साफ करें
- घर को शुद्ध करें
- फूलों की सजावट करें
- घर को रोशन करें

वास्तु पूजन
वास्तु पूजा एक अनुष्ठान है जो अक्सर वास्तु शास्त्र के देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। वास्तु पूजा का लक्ष्य उस क्षेत्र को शुद्ध करना है जहां अनुष्ठान हो रहा है, साथ ही पूरे अंतरिक्ष में ऊर्जा का सकारात्मक प्रवाह पैदा करना है।
- गृह प्रवेश पूजा तब तक पूरी नहीं होती जब तक वास्तु पूजा नहीं होती, घर की छत को न ढका जाए और दरवाजों को शटर से सुसज्जित न किया जाए। साथ ही, पुजारियों को भोग लगाना चाहिए।
- अगर आप किराए के घर में जा रहे हैं, तो नए किराए के घर के लिए आदर्श गृह प्रवेश पूजा तिथियों को जरूर देखें और ऊपर बताए गए गृह प्रवेश पूजा विधि का पालन करें।
- शांति और समृद्धि को आमंत्रित करने के लिए नए घर में हवन करना चाहिए। नए घर में नकारात्मक ऊर्जाओं को खत्म करने और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने के लिए गणेश पूजा, वास्तु दोष पूजा और नवग्रह शांति पूजा के साथ हवन होना चाहिए।
वास्तु प्राप्ति के लिए अनुष्ठान, भूमि पूजन, नींव खनन, कुआं खनन, शिलान्यास, द्वार स्थापन व गृह प्रवेश आदि अवसरों पर वास्तु देव पूजा का विधान है। घर के किसी भी भाग को तोड़ कर दोबारा बनाने से वास्तु भंग दोष लग जाता है। इसकी शांति के लिए वास्तु देव पूजन किया जाता है। इसके अतिरिक्त भी यदि आपको लगता है कि किसी वास्तु दोष के कारण आपके घर में कलह, धन हानि व रोग आदि हो रहे हैं तो आपको नवग्रह शांति व वास्तु देव पूजन करवा लेना चाहिए। किसी शुभ दिन या रवि पुण्य योग को वास्तु पूजन कराना चाहिए।
वास्तु देव पूजन के लिए आवश्यक सामग्री इस प्रकार हैः
रोली, मोली, पान के पत्ते, लौंग, इलायची, साबुत सुपारी, जौ, कपूर, चावल, आटा, काले तिल, पीली सरसों, धूप, हवन सामग्री, पंचमेवा, शुद्ध धी, तांबे का लोटा, नारियल, सफेद वस्त्र, लाल वस्त्र-2, पटरे लकड़ी के, फूल, फूलमाला, रूई, दीपक, आम के पत्ते, आम की लकड़ी, पंचामृत (गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद, शक्कर) स्वर्ण शलाखा, माचिस, नींव स्थापन के लिए अतिरिक्त सामग्री, तांबे का लोटा, चावल, हल्दी, सरसों, चांदी का नाग-नागिन का जोड़ा, अष्टधातु कश्यप, (5) कौडि़यां, (5) सुपारी, सिंदूर, नारियल, लाल वस्त्र घास, रेजगारी, बताशे, पंचरत्न, पांच नई ईंटे।
पूजन वाले दिन प्रातःकाल उठकर प्लॉट/घर की सफाई करके शुद्ध कर लेना चाहिए। जातक को पूर्व मुखी बैठकर अपने बाएं तरफ धर्मपत्नी को बैठाना चाहिए। पूजा के लिए किसी योग्य विद्वान ब्राह्मण की सहायता लेनी चाहिए। ब्राह्मण को उत्तर मुखी होकर बैठना चाहिए।
घर में किसी भी प्रकार से वास्तु दोष है तो घर को स्वास्तिक चिन्ह, मांडने और पौधों से सजाएं। पीले, गुलाबी और हल्के नीले रंग का उपयोग करें। दक्षिण की दिशा में भारी सामान रखें जैसे लोहे की अरमारी, पलंग, फ्रीज आदि। घर की वस्तुओं के स्थान को बदलकर भी वास्तु दोष ठीक किया जा सकता है।
किसी भी प्रकार से वास्तु दोष है तो आप उक्त उपाय आजमाएं और निश्चिंत हो जाएं:
- दक्षिण में है घर का द्वार: यदि आपका घर दक्षिणमुखी है तो आप सबसे पहले घर के सामने द्वारा से दोगुनी दूर पर नीम का एक पेड़ लगाएं। दूसरा यह कि द्वारा के ऊपर पंचमुखी हनुमान का चित्र लगाएं। आदमकद दर्पण भी लगा सकते हैं। मुख्य द्वार के ऊपर पंचधातु का पिरामिड लगवाने से भी वास्तुदोष समाप्त होता है। गणेशजी की पत्थर की दो मूर्ति बनवाएं जिनकी पीठ आपस में जुड़ी हो। इस जुड़ी गणेश प्रतिमा को मुख्य द्वार के बीचों-बीच चौखट पर फिक्स कर दें, ताकि एक गणेशजी अंदर को देखें और एक बाहर को।
- एक ही सीध में हैं द्वार : यदि आपके मुख्य द्वारा के बाद भीतर के द्वार भी एक ही सीध में हैं तो यह भी वास्तुदोष निर्मित करता है। इसके लिए घर में बीच वाले द्वार के मध्य मोटा परदा लगाएं या विंड चाइम लगाएं। यदि आपके मुख्य द्वार के बाद का हाल या कमरा बड़ा है आप ऐसा भी कर सकते कि दूसरे दरवाजे के ठीक सामने कुछ दूरी पर प्लायवुड का एक द्वार बराबर का पाट लगाएं और उसपर कोई अच्छी सी पेंटिंग लगा दें।
- रसोई घर नहीं बना है आग्नेय कोण पर तो: यदि आपका रसोई घर आग्नेय कोण में नहीं बना है तो आप रसोईघर में किचन स्टैंड के उत्तर-पूर्व यानी ईशान कोण में ऊपर सिंदूरी गणेशजी की तस्वीर लगाएं या यज्ञ करते हुए ऋषियं की फोटो लगाएं।
- वास्तु दोष मिटाने के लिए कर्पूर रखें: यदि घर के किसी स्थान पर वास्तु दोष निर्मित हो रहा है तो वहां एक कर्पूर की 2 टिकियां रख दें। जब वह टिकियां गलकर समाप्त हो जाए तब दूसरी दो टिकिया रख दें। इस तरह बदलते रहेंगे तो वास्तुदोष निर्मित नहीं होगा।
- बाथरूम और टॉयलेट एक साथ है तो: बाथरूम और टॉयलेट एक साथ है तो यह भी भयंकर वास्तु दोष उत्पन्न करता है। इसके लिए सबसे पहले आप इसे हमेश स्वच्छ रखें। नीले रंग के मग और बाल्टी ही रखें। एक कटोरे में खड़ा नमक भरकर बाथरूम-टॉयलेट के किसी कौने में रखें। यदि गलती से आपका शौचालय ईशान कोण में बन गया है तो फिर यह बहुत ही धनहानि और अशांति का कारण बन जाता है। प्राथमिक उपचार के तौर पर उसके बाहर शिकार करते हुए शेर का चित्र लगा दें।
- शयन कक्ष: वैसे तो दक्षिण-पश्चिमी दिशा में होना चाहिए या उत्तर दिशा भी ठीक है लेकिन यदि शयन कक्ष अग्निकोण में हो तो पूर्व-मध्य दीवार पर शांत समुद्र का चित्र लगाना चाहिए। सिर हमेशा पूर्व या दक्षिण दिशा की ओर ही रखना चाहिए।
- उत्तर-पूर्व अर्थत ईशान दिशा: यदि ईशान दिशा में किसी भी प्रकार का दोष है तो आप इस दिशा को खाली करके इस दिशा में एक पीतल के बर्तन में जल भरकर रख दें या तुलसी का पौधा लगाकर उसमें नित्य जल देते रहें। पीतल के बर्तन का पानी नित्य बदलते रहें।
- सुंदर कांड या रामचरित का पाठ: घर के वास्तु दोष को दूर करने के लिए समय समय पर रामचरित का पाठ या सुंदरकांड का पाठ करवाते रहें। इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा बाहर निकाल जाएगी।
- सुंदर बनाएं घर को: घर में किसी भी प्रकार से वास्तु दोष है तो घर को स्वास्तिक चिन्ह, मांडने और पौधों से सजाएं। पीले, गुलाबी और हल्के नीले रंग का उपयोग करें। दक्षिण की दिशा में भारी सामान रखें जैसे लोहे की अरमारी, पलंग, फ्रीज आदि। घर की वस्तुओं के स्थान को बदलकर भी वास्तु दोष ठीक किया जा सकता है।