रुद्राभिषेक एवं महा-रुद्राभिषेक पूजा

रुद्राभिषेक यह सर्वोच्च देवता भगवान शिव को समर्पित धार्मिक अनुष्ठान है, जो शक्तिशाली मंत्रो की उच्चारण द्वारा किया जाता है। रुद्राभिषेक भगवन शिव को समर्पित करने वाले व्यक्ति की सभी इच्छाए पूरी होती है। भगवान शिव के आशीर्वाद से पूजा करने वाले उपासक के सभी समस्याएं दूर हो जाती है। भगवन शिव सभी आदि भगवानो में से प्रमुख देवता है। रुद्राभिषेक प्रदान करके भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है जिससे पूजा करने वाले व्यक्ति का जीवन सुखी हो जाता है। रुद्राभिषेक करने से समृद्धि, खुशहाली, इच्छा पूर्ति होती है और उस के साथ- साथ बुरी उर्जाओ का नाश होता है।

रुद्राभिषेक करते समय शिवलिंग को पंचामृत से स्नान करते है, पंचामृत घी, दूध, शक्कर, मधु , दही को मिलकर बनता है। रूद्र अभिषेक करते समय विभिन्न सूक्तम और मंत्रो का जाप किया जाता है जैसे शिव सूक्तम, रूद्र महिमा स्त्रोत्र, महामृत्युंजय मंत्रजाप, आदि। यह अनुष्ठान करते समय विभिन्न पवित्र पान (जैसे बेल पत्र ), दूध, पानी और गन्ने का रस का भी शिव लिंग पर अभिषेक करते है।

हिंदू शास्त्रों में की जाने वाली "रुद्राभिषेक एवं महा-रुद्राभिषेक" यह एक प्राचीन प्रथा है। 'रूद्र' यह शब्द भगवान शिव के तांडव रूप को दर्शाता है, और 'पूजा' उनकी की गयी साधना को। यह अनुष्ठान करने से उपासक को आंतरिक शांति और तृप्ति प्राप्त होती है। इस अनुष्ठान में भगवन शिव के रौद्र रूप की पूजा की जाती है जो की सभी बुरी शक्तिया, और उर्जाए का सर्वनाश करती है। ज्योतिष शास्त्र मे शास्त्रों ने कुछ लौकिक दोषों के लिए एक आसान उपाय के रूप में इस अनुष्ठान को भगवान शिव को समर्पित करने का सुझाव दिया है।

रुद्राभिषेक क्यों किया जाता है?

यह एक धार्मिक अनुष्ठान है जो भगवान शिव को समर्पित किया जाता है। जब कोई भगवान शिव को रूद्र अभिषेक जैसे अनुष्ठान करके खुश करता है तो वे उनपर आशीर्वाद प्रदान करते है। भगवान शिव के आशीर्वाद से किसी भी व्यक्ति के जीवन की सभी समस्याएं, ख़ुशी और स्थिरता , मन की शांति में बदल जाती है।

रुद्राभिषेक पूजा कैसे करनी चाहिए?

रूद्र अभिषेक पूजा स्पटिक (क्रिस्टल) से बने या काले पत्थर से बनी शिवलिंग पर की जाती है। जो भी मंत्र के जाप के साथ पंचामृत का अभिषेक शिव लिंग पर होता है, वो सब शिव लिंग पे अवशोषित होता है। रुद्राभिषेक प्रसशंसा और प्रेम द्वारा भगवान शिव को समर्पित होता है। रुद्राभिषेक करते समय मंत्र का जाप करना बहोत पवित्र और ध्यानस्थ माना जाता है, जिसके प्रभाव से पूजा की पवित्रता बढ़ती है।

रुद्राभिषेक पूजा किसे करनी चाहिए?

  • जिन लोगो को अपने जीवन से सभी बुरी शक्तियों और संभवी संकट को दूर करना है।
  • जीवन में समृद्धि और ख़ुशी पाने के लिए।
  • जिन लोगो को अपने जीवन में व्यापार संबंधित समस्याएं दूर करनी है और सफलता पानी है।
  • सभी स्वास्थ संबंधित समस्याओं का नाश करने के लिए यह अनुष्ठान किया जाता है।
  • मन की शांति पाने के लिए और ग्रहो से बने दोषो को मिटाने के लिए यह पूजा प्रमुख देवता भगवान शिव को समर्पित की जाती है।

रुद्राभिषेक करने का महत्व:

कई पुराने शास्त्रों में लिखित है की, रुद्राभिषेक अनुष्ठान ग्रहो के हानिकारक दोष का निवारण करता है। जिस व्यक्ति के जन्म कुंडली में ग्रहो की गलत स्थान है वह भगवान शिव के क्रोध से प्रभावित करती है। इसीलिए, ग्रहो से बने हानिकारक दुष्परिणामों को दूर करने के लिए, रुद्राभिषेक करना उचित माना गया है।

कहा जाता है की, दोनों तरह की उर्जाए (सकारात्मक और नकारात्मक) वायुमंडल में होती है। सकारात्मक ऊर्जा ख़ुशी, समृद्धि, आनंद से जुडी है, और नकारात्मक ऊर्जा तनाव, बीमारिया, निंदा, आदि से संबंधित है।

इस अनुष्ठान को करने से सभी नकारात्मक उर्जाए सकारात्मक परिवर्तित हो जाती है, जिससे जीवन में खुशियाली छा जाती है।

रुद्राभिषेक के फायदे:

  • इस पूजा के प्रभाव से बिगड़े कार्य बन जाते है।
  • जीवन मे सफलता मिलती है।
  • परिवार को सुख-शांति की प्राप्ति होती है।
  • व्यापार में वृद्धि एवं आर्थिक समस्या का हल होता है।
  • स्वास्थ से जुडी परेशानियाँ दूर होती है।
  • आपसी मनमुटाव मिट जाता है।
  • कुंडली में विपरीत ग्रह शांत हो जाते है, विशेष तौर पर मंगल ग्रह की शान्ति का उपाय रूद्राभिषेक से तुरंत संभव होता है।
  • नौकरी में ऊँचे पद की प्राप्ति होती है।
  • भविष्य में आने वाले संकट मिट जाते है।
  • ग्रहबल बढ़ता है एवं पितृदोष नष्ट होता है।
  • पुष्य, अश्लेषा एवं पुनर्वसु नक्षत्रोंका जीवन पर होनेवाला नकारात्मक प्रभाव नष्ट हो जाता है।

रुद्राभिषेक करने से होने वाले लाभ:

  • व्यावसायिक और शैक्षणिक सफलता।
  • सभी आर्थिक समस्याएं दूर हो जाती है।
  • ग्रह दोष (मंगल दोष) का नाश होता है।
  • इस पूजा को संपन्न करने से ख़ुशी और मन की शांति मिलती है।
  • स्वास्थ संबंधित समस्या और बीमारिया ख़त्म हो जाती है।

रुद्राभिषेक पूजा विधि:

  • रुद्राभिषेक पूजा में बारी-बारी से जल, दूध, दही, शक़्कर एवं शहद से अभिषेक किया जाता है।
  • प्राचीन रुद्राभिषेक विधि अनुसार शुक्ल यजुर्वेद में रुद्राभिषेक पूजा की विधि का विस्तृत वर्णन किया गया है।
  • रुद्राभिषेक विधि में कुल मिलाकर १० पाठ होते है, लेकिन इनमे केवल ८ पाठ ही किये जाते है, बचे २ पाठ शान्ति अध्याय एवं स्वस्ति प्रार्थनाध्याय है।
  • ८ अध्याय मिलाकर अष्टाध्याय का पाठ किया जाता है - जिसे रूपक एवं षडंग पाठ कहा जाता है।
  • सम्पूर्ण रुद्राष्टाध्याय का वाचन करते समय आठवाँ एवं पाँचवा अध्याय पुनरावृति में नहीं लिया जाता, जिसे नमक-चमक से अभिषेक करना कहा जाता है।
  • रुद्राष्टाध्याय पाठ सम्पूर्ण होने पर शान्तिपाठ एवं स्वस्ति प्रार्थनाध्याय लिया जाता है, जिसके बाद पण्डितजी को दान-दक्षिणा देकर रुद्राभिषेक सम्पन्न होता है।